Marriage without dowry : समाज में अब दहेज को लोग नकारने लगे हैं। जींद जिले में भी बिना दहेज की शादी करने के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है, जिससे आम लोगों को प्रेरणा मिल रही है। मूल रूप से उचाना के खरकभूरा गांव और हाल आबाद जींद की हाऊसिंग बोर्ड कॉलोनी निवासी नरेंद्र के बेटे डॉ. सुनील बूरा ने बिना दहेज की शादी कर मिशाल पेश की है तो शादी के कार्यक्रम में आने वाले सभी मेहमानों को पौधे भेंट कर पर्यावरण सरंक्षण का भी संदेश दिया है।
नरेंद्र बूरा गांव खरकभूरा में आरएमपी डॉक्टर हैं और उनके बेटे डॉ. सुनील बूरा दिल्ली टैक्रीकल यूनिवर्सिटी में लेक्चरर के तौर पर नौकरी कर रहे हैं और सुनील का परिवार शुरू से ही बिना दहेज (dowry) की शादी का पक्षधर रहा है। 29 नवंबर को उनके बेटे डॉ. सुनील बूरा नजफगढ़ की डॉ. श्वेता के साथ शादी के बंधन में बंधे।
डॉ. सुनील ने बहुत ही साधारण तरीके से बिना किसी शोर-शराबे के हिंदू रीति-रिवाजों के साथ डॉ. श्वेता के साथ शादी की और यहां आने के बाद शादी के कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। शादी में सुनील बूरा ने किसी तरह का दान-दहेज (dowry) नहीं लिया। शहर में आयोजित कार्यक्रम में जहां जान-पहचान वालों को दावत दी गई तो वहीं गरीबों को खाना खिलाया गया। शहर में कई सार्वजनिक जगहों पर पौधे रखवाए गए। शादी के कार्यक्रम में आने वाले मेहमानों को भी पौधे भेंट किए गए।
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नरेंद्र बूरा ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण आज बहुत जरूरी हो गया है। सभी को इस तरह के कार्यक्रमों में पौधे दान करने चाहिए और खुशी के मौके पर पौधारोपण करना चाहिए। डा. सुनील बूरा ने कहा कि हमें दहेज नहीं लेना चाहिए। उनके लिए दुल्हन ही दहेज (dowry) है।
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