Indian village culture update : भारत का एक ऐसा गांव, जहां महिलाएं कपड़े नहीं पहनती, ये हैं कारण

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Indian village culture update : भारत का एक ऐसा गांव, जहां महिलाएं कपड़े नहीं पहनती, ये हैं कारण
Last updated: 07/04/2024 8:08 PM
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Indian village culture update : भारत देश भौगोलिक दृष्टि के साथ-साथ कई पौराणिक सांस्कृति परंपराओं का देश है। यहां भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में अपना सामुदायिक समाज में पौराणिक सांस्कृतिक परंपराओं को मानने वाले लोग रहते है। इसलिए इतनी भिन्नताओं में भी भारत एकता के सूत्र में बंधा रहता हैं। बस राजनितिक दृष्टि से देश का कुछ समाज सांप्रदायिक हो जाता है। फिर भी यहां के लोगों में भाईचारा बना ही रहता है।

ऐसे में भारत के विभिन्न हिस्सों में आज भी अजीब गरीब रीतियों का पालन किया जाता है। आपको विश्वास नहीं होगा कि आज भी कुछ जगहों पर कुछ लोगों द्वारा महिलाओं को उनके मासिक धर्म के दौरान घर से दूर रखते हैं और कुछ जगहों पर महिलाओं को कुत्ते, पेड़ आदि से विवाह करवाया जाता है।

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वहीं कुछ जगहों पर शादी से पहले मामा के साथ संबंध बनाने की परंपरा होती है। आपको बता दें कि भारत में एक ऐसा गाँव भी है, जहाँ महिलाओं और पुरुषों के लिए एक अजीब परंपरा है, जो कई सदियों से चली आ रही है। यहां महिलाओं को कपड़े पहनने से रोका जाता है और इस दौरान वहां के पुरुषों को भी कुछ विशेष ध्यान रखना होता है।

 

ये काम करना पड़ता है पुरुषों को

हिमाचल प्रदेश के मानिकर्णा घाटी के स्थित पिणी नामक एक गांव है, जहां कई सदियों से चल रही बहुत ही अजीब परंपरा (Indian village culture update) को माना जाता है। एक परंपरा के अनुसार, साल में धार्मिक रूप से ऐसे 5 दिन होते हैं जब महिलाओं को कपड़े पहनने की अनुमति नहीं दी जाती। इस दौरान अधिकांश महिलाएं घर में ही रहती हैं और बाहर नहीं जाती हैं।

इन खास 5 दिनों के दौरान पुरुषों के लिए भी कुछ सख्त नियम होते हैं। उदाहरण के लिएए इस दौरान पुरुषों को ना तो शराब पीने की अनुमति होती है और ना ही मांस खाने कीए यह परंपरा आज भी सदियों से चल रही है और गाँव के निवासियों द्वारा सख्ती से पालन किया जाता है।

 

ये है गांव की परंपराओं की पीछे की कहानी

यहां के गांव वाले लोग यह मानते हैं कि उनके देवता इस परंपरा का पालन न करने पर नाराज हो सकते हैं। कहा जाता है किए कई सदियों पहले पिणी गाँव में राक्षसों का आतंक था। गांव वाले कहते है, यें राक्षस गांव की विवाहित महिलाओं को अपहरण कर लिया करते थे और उनके कपड़े फाड़ देते थे। एक दिन गांव में ‘लाहूआ घोंड’ नामक एक देवता आए थे, जो गांव वालों को इन राक्षसों से बचाने के लिए आए थे।

इसी प्रकार हावभाव से बचाने के लिए देवताओं और राक्षसों के बीच एक युद्ध हुआ, जिसमें राक्षस हार गए। अगर कोई महिला इन विशेष 5 दिनों के दौरान अब भी कपड़े पहनती है और पुरुष इन परंपराओं (Indian village culture update) का पालन नहीं करते हैं तो उन्हें बुरे घटनाओं का सामना करना पड़ सकता है।

 

इन 5 दिनों में पत्नी-पति नहीं कर सकते हैं बात

पिणी गांव के लोग कहते हैं की, महिलाएँ इस अवधि के दौरान केवल एक कपड़ा पहन सकती हैं। परंपरा (Indian village culture update) के अनुसार गांव की महिलाएँ एक ऊन की पटका का उपयोग कर सकती हैं। इस दौरान महिलाएं घर के ही अंदर रहती हैं, इस अवधि दौरान उन्हें पुरुषों से बात करना या देखना भी मना हैं। सावन के 5 दिनों के लिए वे शराब और मांस भी नहीं खा सकतीं, पति-पत्नी एक-दूसरे से बात भी नहीं कर सकते हैं या एक-दूसरे पर मुस्कान भी नहीं कर सकते हैं।

कहा जाता है कि अगर कोई पुरुष इस परंपरा का पालन नहीं करता, तो देवताओं को गुस्सा आता है और उस व्यक्ति को बड़ा नुकसान पहुँचाते हैं। इस भय के कारण, यह परंपरा आज भी 5 विशेष दिनों पर की जाती है। वहीं इस अवधि के दौरानए विदेशी और बाहरी लोगों को गाँव में प्रवेश करने की पाबंदी होती है।

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