Jind zila parisad : अधिकारी नियमों में बदलाव व नई गाइडलाइन की वजह से देरी का बता रहे कारण
Jind zila parisad : जिला परिषद हाउस की तीन बैठक हो चुकी हैं। जिनमें करीब 20 करोड़ रुपये की ग्रांट वितरण कर पार्षदों से काम मांगे जा चुके हैं। अब तक आधे काम भी सिरे नहीं चढ़ पाए हैं। पिछली बैठक में पार्षद एस्टीमेट बनाने में देरी और काम शुरू नहीं होने पर जिला परिषद अधिकारियों के प्रति नाराजगी जता चुके हैं। चेयरपर्सन मनीषा रंधावा के कार्यभार संभालने के बाद जिला परिषद हाउस की पहली बैठक 20 मार्च को हुई थी।
कुछ पार्षदों का (Jind zila parisad) कहना है कि उनके पहली बैठक में दिए काम ही शुरू नहीं हुए हैं। एेसे में बाकी दो बैठकों के काम कब शुरू होंगे। वार्ड के लोग उनसे जवाब मांग रहे हैं। विकास कार्यों में देरी के लिए अधिकारी नियमों में हुए बदलाव का हवाला दे रहे हैं। बता दें कि पहली बैठक में करीब आठ करोड़ रुपये की ग्रांट के वितरण के लिए चार सदस्यीय कमेटी बनाई गई थी। जिसमें चेयरपर्सन मनीषा रंधावा, वाइस चेयरमैन सतीश हथलावा और दो पार्षदों को शामिल किया गया था। पार्षदों द्वारा जो काम दिए गए थे, उन पर चारों सदस्यों के हस्ताक्षर जरूरी थे।
पिछले माह जब पार्षदों ने उनके काम नहीं होने का मामला उठाया, जिला परिषद अधिकारियों ने बताया कि 100 काम ऐसे हैं, जिनके कमेटी सदस्यों के हस्ताक्षर नहीं होने की वजह से एस्टीमेट नहीं बन पाए हैं। दूसरी बैठक में चेयरपर्सन पक्ष के पार्षदों ने कहा था कि चार सदस्यीय कमेटी (Jind zila parisad) बनने की वजह से काम सिरे नहीं चढ़ पा रहे। इसलिए दूसरी बैठक में करीब छह करोड़ की ग्रांट वितरण का अधिकार अकेले चेयरपर्सन को दिया गया। वहीं पिछले माह हुई तीसरी बैठक में भी ग्रांट वितरण का अधिकार सर्वसम्मति से चेयरपर्सन को दिया गया।
बैठक में जिला परिषद मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने पिछले कामों के जल्द एस्टीमेट बनवा कर शुरू करवाने का आश्वासन दिया था। अधिकारियों के अनुसार नई प्रक्रिया के चलते कामों व पेमेंट में देरी हुई। जिसके चलते (Jind zila parisad) एजेंसी भी टेंडर लेने के लिए आगे नहीं आ रही थी। एजेंसी नहीं आने की वजह से टेंडर प्रक्रिया सिरे नहीं चढ़ पाई और दोबारा टेंडर लगाने पड़े। वहीं पार्षदों ने काफी काम ऐसे दिए हुए थे, जिनमें 12 से 15 हजार रुपये तक के काम शामिल थे।
ये काम ग्राम पंचायत के स्तर पर हो सकते हैं। ऐसे में पार्षदों से दोबारा काम मांगे गए। सरकार की तरफ से भी गाइडलाइन आई, जिसमें जिला परिषद (Jind zila parisad) , ग्राम पंचायत, ब्लाक समिति द्वारा किए जाने वाले काम निर्धारित किए गए। जिसके चलते भी कामों में बदलाव करवाना पड़ा।
काम नहीं चढ़ रहे सिरे : वाइस चेयरमैन
वाइस चेयरमैन सतीश हथवाला ने बताया कि उनके वार्ड का अब तक एक ही काम हुआ है। बाकी जो काम दिए हैं, वे सिरे नहीं चढ़ पाए हैं। बाकी वार्डों में भी ऐसी ही स्थिति है। विकास कार्यों में देरी का मुद्दा कई बार उठा चुके हैं। तीसरी ग्रांट से उनके वार्ड में क्या काम होंगे, उन्हें खुद ही जानकारी नहीं है। चेयरपर्सन खुद ही काम करवा रही हैं। वार्ड का पार्षद होने के नाते उसके कहने पर काम होने चाहिएं।
एस्टीमेट बन रहे हैं, कुछ काम शुरू भी हो चुके
पंचायती राज एक्सईएन पेशल कुमार ने बताया कि कुछ नियमों में बदलाव हुए हैं, जिसके चलते पार्षदों द्वारा दिए गए कामों में भी (Jind zila parisad) बदलाव करना पड़ा था। कुछ कामों में एजेंसी भी नहीं आई थी। अब पहली बैठक के काफी कामों के टेंडर हो चुके हैं और काम भी शुरू हो गए हैं। बाकी कामों के भी एस्टीमेट बनाए जा रहे हैं, जल्द ही ये काम शुरू करवा दिए जाएंगे।
पहले नियमों को लेकर कुछ असमंजस थी, शुरू हो रहे हैं काम : चेयरपर्सन
जिला परिषद चेयरपर्सन मनीषा रंधावा ने बताया कि कितनी राशि तक के कार्य बगैर टेंडर के चेयरपर्सन करवा सकती है और कितनी राशि के कार्य टेंडर से होंगे। इसको लेकर थोड़ी असमंजस थी। वहीं कुछ अन्य कारणों से भी देरी हुई थी। लेकिन अब कामों के टेंडर लग रहे हैं और काफी काम शुरू भी हो चुके हैं। जल्द ही बाकी काम भी एस्टीमेट बनवा कर शुरू करवाए जाएंगे। सरकार विकास कार्यों के लिए ग्रांट देने में कोई कमी नहीं रख रही है।
ये भी पढ़ें : जींद में धुंध का आगाज, रोडवेज बसों में नहीं फॉग लाइटें, मेन लाइटें भी कमजोर, हादसों का डर