Jind Roadways : परमिट, फास्टैग के बाद उतारी जाएंगी रूटों पर
Jind Roadways news buses : जींद डिपो में परिवहन विभाग द्वारा 17 नई बस भेजी गई हैं। परमिट व फास्टैग जैसी कागजी कार्रवाई के बाद बसों को आॅनरूट भेजा जाएगा, जिससे यात्रियों को बेहतर परिवहन सुविधा मिलेगी। यह 17 बस आने के बाद डिपो में रोडवेज बसों की संख्या 194 हो गई हैं, जिसमें से 177 बस रूट पर चल रही हैं। 177 बसों में किलोमीटर स्कीम की 37 बस शामिल हैं, जिस पर चालक परिवहन समिति का ऑपरेटर व परिचालक रोडवेज कर्मचारी है।
हालांकि बसों की संख्या को देखते हुए डिपो में चालक व परिचालकों की संख्या कम है। इस समय डिपो में 267 परिचालक व 243 चालक हैं। 1.7 नोरम के हिसाब से ओवरटाइम शून्य करने के लिए डिपो में 194 बसों पर 330 चालक व परिचालक की जरूरत है। ऐसे में बसों का संचालन (Jind Roadways) सुचारू रूप से जारी रखने के लिए चालक व परिचालकों को 40 से 90 घंटे प्रतिमाह ओवरटाइम दिया जा रहा है। जबकि परिवहन विभाग की ओर से एचकेआरएन के तहत 30 परिचालक भेजे जाने हैं।
इससे पहले भी एचकेआरएन (HKRN) के तहत 23 परिचालकों की भर्ती डिपो में हो चुकी है। जींद डिपो की 177 बसों में हर रोज रोज 16 हजार से अधिक यात्री सफर करते हैं, जिससे डिपो को हर रोज दस लाख रुपए से अधिक का राजस्व प्राप्त होता है। यात्रियों की संख्या को देखते हुए डिपो में कम से कम 200 बसों की जरूरत है, जो लगभग पूरी होती दिखाई दे रही है, जिससे यात्रियों (Jind Roadways) को फायदा होगा।
स्थाई रोजगार देने की जरूरत
परिवहन विभाग द्वारा डिपो में (Jind Roadways) नई बसें जरूर भेजी जा रही हैं, लेकिन बसों की संख्या के हिसाब से कर्मचारियों की कमी है। सरकार द्वारा हरियाणा कौशल निगम के तहत चालक व परिचालक की भर्ती की जा रही है। जबकि सरकार को चाहिए कि बेडे में स्थाई भर्ती करें, जिससे युवाओं को रोजगार भी मिले। यूनियन सरकार की निजीकरण की नीति का विरोध करती है।
—संदीप रंगा (Sandeep Ranga), राज्य उपप्रधान, हरियाणा रोडवेज संयुक्त कर्मचारी संघ
डिपो में 17 नई बस आ चुकी हैं, जिसे कागजी (Jind Roadways) कार्रवाई के बाद रूट पर भेजा जाएगा। कागजी कार्रवाई में एक सप्ताह का समय लग सकता है। फास्टैग लगने तक बसों को हांसी, रोहतक व असंध जैसे लोकल रूटों पर चलाया जाएगा। वहीं फास्टैग लगने के बाद बसों को यात्रियों की सुविधा अनुसार लंबे रूट पर भेजा जा सकता है।
–राजबीर शामदो, डीआई जींद।
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