Sate-lite Internet technology : 5G से फास्ट इंटरनेट ! ना अब तार और टॉवर का जरुरत, सरकार ला रही नई टेक्नोलॉजी

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Faster internet than 5G! Now there is no need of wires and towers, government is bringing new technology

Sate-lite Internet technology : केंद्र सरकार की तरफ से जल्द एक नई टेक्नोलॉजी को मंजूरी दी जा सकती है, जो मोबाइल इंटरनेट और कॉलिंग की दुनिया में बड़ा परिवर्तन करने जा रही है। दरअसल अभी तक 5G को सबसे फास्ट इंटरनेट सर्विस माना जाता है। मगर ही जल्द ही सरकार की ओर से सैटेलाइट स्पेक्ट्रम को मंजूरी दी जा सकती है। इससे पहले सरकार ने सफलता पूर्वक 5G स्पेक्ट्रम आवंटन किया है। लेकिन अब एक नई टेक्नोलॉजी को मंजूरी देने जा रही है। इसका पहला चरण सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन है, जिसकी तैयारी आरंभ हो गई है।

जल्द पूरी होगी सैटेलाइट स्पेक्ट्म का प्रोसेस
पाठकों को बता दें कि, दूरसंचार विभाग की तरफ से सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंट की प्रोसेस (Sate-lite Internet technology) को तेज कर दिया है। विभाग की तरफ से इस सप्ताह टेलिकॉम रेगुलेटर अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी TRAI से आवंटन प्रोसेस के नियम और कंटीशन्स को लेकर सिफारिश मांगेगा। जिस पर विचार-विमर्श के बाद टेलिकॉम ऑपरेटर जैसे जियो, एयरटेल से आवेदन मांगे जाएंगे।

जियो और एयरटेल की सैटेलाइट इंटरनेट की रेस में सबसे आगे

  • भारत में निजी टेलिकॉम कंपनी रिलायंस जियो और एयरटेल की साझेदारी वाली वन वेब के पास सैटेलाइट सर्विस का लाइसेंस है।
  • एलन मस्क की स्टारलिंक कंपनी Star-link भी सरकार से सैटेलाइट सर्विस का लाइसेंस चाह रही है।

क्यों अहम है सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस
पाठकों को बता दें कि, सैटेलाइस सर्विस बाकी इंटरनेट सर्विस (Sate-lite Internet technology) से सबसे भिन्न है, चूंकि इसमें इंटरनेट के लिए किसी तार या मोबाइल टॉवर की आवश्यकत्ता नहीं होती है। इस सर्विस में सीधे सैटेलाइट सर्विस की हेल्प से इंटरनेट सर्विस का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए एक रिसीवर की आवश्यकता होती है, जिसमें वाई-फाई बिल्ड इन होता है। जिसकी सहायता से कहीं भी इंटरनेट इस्तेमाल किया जा सकता है।

 

कितनी बढ़ सकती है इंटरनेट स्पीड
सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस को लेकर दावा किया जा रहा है कि, इसके द्वारा 1 जीबीपीएस की डाउनलोडिंग स्पीड हासिल की जा सकती है ! जो 5G इंटनरेट स्पीड से कहीं ज्यादा है। 5G इंटनरेट स्पीड मोबाइल टावर कवरेज एरिया और मौसम पर भी निर्भर करती है। जबकि सैटेलाइट सर्विस में ऐसा कुछ नहीं है।

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