हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने सोमवार को चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में वैश्विक खाद्य-पोषण सुरक्षा, स्थिरता और स्वास्थ्य के लिए रणनीति विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ किया। उन्होंने कृषि महाविद्यालय परिसर में कृषि क्षेत्र में उद्यमिता से संबंधित प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।
इस दौरान मुख्यमंत्री को अवगत करवाया गया कि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में युवा उद्यमियों के स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए एग्री बिजनेस इन्क्यूबेशन सेंटर स्थापित है। इस सेंटर के माध्यम से गत 4 वर्षों में 6 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध करवाकर 100 स्टार्टअप शुरू करवाए जा चुके हैं। इन स्टार्टअपस के माध्यम से टिश्यू कल्चर तकनीक से केला, गन्ना की बेहतरीन किस्म तैयार करना तथा मोटे अनाज से तैयार खाद्य उत्पाद तैयार किए गए हैं।
इसके बाद मुख्यमंत्री ने 14 देशों की प्रसिद्ध शोध संस्थाओं से आए प्रख्यात वैज्ञानिकों के साथ बैठक भी की। उन्होंने कहा कि हरियाणा प्रदेश ने कृषि क्षेत्र में शानदार उपलब्धियां हासिल की है। यहां के कृषि उत्पाद का निर्यात देश व दुनिया के कई देशों में हो रहा हैं। अब उत्पादन के साथ-साथ इसकी गुणवत्ता बढ़ाने के लिए दुनिया के कई देशों के साथ राज्य सरकार द्वारा काम किया जा रहा है।
फसल की गुणवत्ता बढ़ाने में कृषि वैज्ञानिक की भूमिका अहम
उन्होंने सेमिनार में उपस्थित हरियाणा सरकार के मंत्री गणों व अन्य अतिथियों का वैज्ञानिकों से परिचय करवाते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र के उत्थान को लेकर सरकार द्वारा ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
नई-नई तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसके परिणाम स्वरूप हरियाणा प्रदेश ने इस क्षेत्र में शानदार उपलब्धियां हासिल की है। कृषि क्षेत्र में रिकॉर्ड तोड़ उत्पादन हो रहा है, लेकिन इसके साथ ही नई चुनौतियां भी खड़ी हो गई है।
अधिक खाद एवं दवाइयां के प्रयोग से फसल उत्पादक गुणवत्ता का स्तर गिर रहा है, जिससे मानव को अनेक बीमारियां अपनी गिरफ्त में ले रही है। यही नहीं पानी तथा पर्यावरण भी प्रदूषित हो रहा है। इन तमाम चुनौतियों से निपटने के लिए अब चिंतन करना बहुत आवश्यक हो गया है।
इसमें वैज्ञानिकों की भूमिका अति महत्वपूर्ण बन जाती है। उन्होंने विश्वास जताया कि हमारे वैज्ञानिक इन समस्याओं व चुनौतियों से पार पाकर आने वाली पीढियां को सुखद जीवन देने का काम करेंगे।
15 देशों के 900 वैज्ञानिक व शोधार्थी ले रहे भाग
गौरतलब है कि विश्वविद्यालय के कुलपति एवं सम्मेलन के मुख्य संरक्षक प्रो बीआर काम्बोज के नेतृत्व में विश्वविद्यालय में 4 से 6 दिसंबर तक तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, कजाखस्तान, जापान, मिस्त्र, फ्रांस, जर्मनी, ट्यूनीशिया, ब्राजील, मोरक्को सहित 15 देशों के 900 वैज्ञानिक व शोधार्थी भाग ले रहे हैं।
उन्होंने बताया कि चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के साथ देश के किसानों का भावनात्मक रिश्ता है। देश को अनाज के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की अहम भूमिका रही है।
सोमवार को सम्मेलन के प्रारंभिक सत्र में फ्रांस के आईपीसीसी नोबेल पुरस्कार के सह-विजेता प्रोफेसर आर्थर सी रिडेकर व अमेरिका की टेक्सास ए एंड एम, विश्वविद्यालय के संकाय फेलो प्रोफेसर सर्जिओ सी कापारेडा ने तकनीकी विषयों पर अपना व्याख्यान दिया।
तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने वाले मुख्य वक्ताओं में जर्मनी से डॉ डिटर एच त्रुट्ज ओस्नाबु्रक, डेनमार्क से डॉ अहमद जहूर, जापान से प्रोफेसर यो तोमा व डॉ टाकुरो शिनानो, कजाकिस्तान से डॉ विक्टर कामकिन व डॉ ओक्साना एर्माकोवा, फ्रांस से डॉ बोचाइब खदरी, पौलेंड से डॉ. टकाओ इशिकावा, मिस्त्र से डॉ. हॉसम रूश्दी, कोलम्बिया से डॉ. देवकी नंदन, सीम्यीट मैक्सिको से डॉ. एम.के. गथाला एवं डॉ. मैक्सवेल मकोंडीवा,, ब्राजील से डॉ. फ्रांसिस्को फग्गिओं व डॉ. वाल्मी हैजे-फग्गिओं, ईरी-शार्क से डॉ. राबे याहया, ईक्रीसेट से डॉ. एस.के. गुप्ता, कैलिफोर्निया से डॉ. चंद्र पी. अरोड़ा शामिल हैं।
देश के प्रसिद्ध शोध संस्थाओं में कार्यरत प्रख्यात वैज्ञानिक भी इस सम्मेलन में व्याख्यान देने पहुंचे हैं, जिनमें एडीजी आईसीआर डॉ. एस.के शर्मा, एडीजी आईसीआर डॉ. बी.पी. मोहंती इत्यादि शामिल