जम्मू कश्मीर के शिल्पकार निसार अहमद खान को उच्च गुणवत्ता की पसमीना कानी शाल को बनाने में 6 साल का समय लग जाता है। इस कानी शाल की कीमत लगभग 5 लाख रुपए के आस-पास तय की जाती है।
इस कानी शाल को वैरायटी के हिसाब से 5 या 6 माह में भी तैयार किया जा सकता है। इस कानी शाल को बनाने पर शिल्पकार निसार अहमद खान को इंडिया इंटरनेशनल फ्रेंडशिप सोसायटी की तरफ से वर्ष 2015 में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के राष्ट्रीय गौरव अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।
अहम पहलु यह है कि शिल्पकार निसार अहमद खान के दादा, परदादा और वर्तमान में पूरा परिवार इस शिल्पकला में लगा हुआ है। इस कानी शिल्पकला के लिए उनके भाई शोहकत अहमद खान को वर्ष 2006 और उनके दूसरे भाई मुस्ताक अहमद खान को भी वर्ष 2012 में राष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2023 में शिल्पकार निसार अहमद खान को एनजैडसीसी की तरफ से स्टाल नम्बर 3 अलॉट किया है। इस स्टॉल पर शिल्पकार निजार अहमद खान ने कानी शाल, लोई, कम्बल, सूट, फैरन आदि उत्पादों को कुरुक्षेत्र और आस-पास के पर्यटकों के लिए रखा है।
इस महोत्सव में सालों से पर्यटकों की कानी शाल की पेशकस को पूरा करने का प्रयास कर रहे है। यहां महोत्सव में आने के लिए हमेशा उत्साहित रहते है।
उन्होंने विशेष बातचीत करते हुए कहा कि पुस्तों से उनका परिवार कानी शाल बनाने का काम कर रहा है। इस महोत्सव में पसमीना की कानी शाल जिसकी कीमत 1 हजार रुपए से लेकर 15 हजार रुपए तक है, लेकर आए है। अगर सही मायने में पसमीना की कानी शाली की बात करे तो उच्च गुणवत्ता की पसमीना कानी शाल बनाने में 6 साल का समय लग जाता है।
इस कानी शाल को डोगरा, सिख और मुगल काल में भी पसंद किया गया है। उस समय पसमीना का बडा शाल पहना जाता था और राजा महाराजा इस शाल को बडे ही शौंक के साथ पहनते थे।
मैट्रिक की शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत इस शिल्पकला से जुड़े शिल्पकार निसार का 36 साल का अनुभव हो चुका है।
इस 36 साल में निसार को वर्ष 2015 में राष्ट्रीय गौरव, वर्ष 2012 में राष्ट्रीय अवार्ड प्रमाण पत्र, फ्रांस से जनवरी 2023 मेंं अंतर्राष्ट्रीय शिल्पकार प्रशंसा पत्र, हस्तकार अवार्ड सहित अनेकों शिल्पकला के क्षेत्र में अवार्ड हासिल कर चुके है।
इस शिल्पकला को लेकर जम्मू सरकार की तरफ से उनका नाम पद्मश्री के लिए भी भेजा गया है। उन्होंने कहा कि इस शिल्पकला को बढ़ावा देेने के लिए सरकार की तरफ से भी मदद मिलती है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया के प्रोग्राम को भी आगे बढ़ाने का काम कर रहे है।
उनके साथ कश्मीर में लगभग 250 लोग जुडे हुए है जिसमें 90 साल के बुर्जुग से लेकर 20 साल के नौजवान शामिल है।
उन्होंने कहा कि फ्रांस और अन्य देशों में आने वाले 10 सालों को जेहन मेंं रखकर कलर कॉम्बिनेशन की कानी शॉल बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है।