HSSC Vacancies : हरियाणा में 15 हजार पदों पर सरकारी नौकरी निकली, ग्रुप-C के पद भरे जाएंगे, 5 बोनस नंबर के बिना भर्ती होंगे, क्लर्क के सबसे ज्यादा पद

Priyanka Sharma
Government jobs available for 15 thousand posts in Haryana

HSSC Vacancies : हरियाणा में जिन पदों के लिए अब आवेदन मांगे गए हैं, उनके लिए लिखित परीक्षा जुलाई में पूरी करने की तैयारी आयोग कर रहा है। हरियाणा में सरकारी भर्तियों में सामाजिक-आर्थिक आरक्षण के आधार पर दिए जाने वाले 5 नंबर के बोनस के बिना ही भर्तियां शुरू कर दी गई है। हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (HSSC) ने ग्रुप-C के15755 पद के लिए दोबारा विज्ञापन निकाला दिया है।

आयोग ने इन पदों के लिए आवेदन के लिए 8 जुलाई लास्ट डेट तय की है। इन पदों में ग्रुप-C के लगभग 2 हजार नए पद शामिल किए गए हैं। पद ग्रुप संख्या 1, 2, 56 और 57 में आते हैं। जिन पदों के लिए अब आवेदन मांगे गए हैं, उनके लिए लिखित परीक्षा जुलाई में पूरी करने की तैयारी आयोग कर रहा है।

आयोग ग्रुप-C के बचे पदों, नए पदों और ग्रुप-D के बचे पदों और नए आने वाले पदों पर सामाजिक-आर्थिक मानदंड के अंकों के बगैर भर्ती शुरू की है। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने इन अंकों को असंवैधानिक करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले में कोई त्रुटि नहीं बताई है, इसलिए आयोग को हाईकोर्ट के फैसले अनुसार भर्ती प्रक्रिया शुरू करनी पड़ी।

 

पहले भी जारी हुआ था विज्ञापन

इन पदों के लिए 2018 और 2019 में भी विज्ञापन जारी हुआ था, जब प्रक्रिया चल रही थी तब सरकार ने सीईटी के जरिए ग्रुप-C-D पदों (HSSC Vacancies) की भर्ती की घोषणा कर दी। तब आयोग ने इन पदों को वापस लेकर 2023 में नया विज्ञापन जारी किया था। अब आयोग ने दोबारा विज्ञापन निकाल कर आवेदन मांगे हैं।

 

JBT के भरे जाएंगे 1200 पद

सरकार ने एक और बड़ा फैसला किया है। सूबे में 10 साल के भीतर पहली बार JBT के 1200 पदों पर भर्ती करनी जा रही है। मौलिक शिक्षा विभाग ने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के पास इन पदों पर भर्ती करने के लिए आग्रह पत्र भेज दिया है। वैसे सरकार ने आयोग के पास PRT के 1200 पदों के अतिरिक्त ग्रुप सी के लगभग 3500 नए पद भेजे हैं, जिन पर भर्ती होगी। सरकार के इस फैसले से टीचर (HSSC Vacancies) बनने का सपना देख रहे बेरोजगार युवाओं के लिए यह अच्छा मौका होगा।

 

सुप्रीम कोर्ट ने उठाए थे सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET) के जरिए दूसरे राज्य के मेधावी छात्र को 60 अंक मिलते हैं और उतने ही अंक स्थानीय अभ्यर्थी को भी मिले हैं, लेकिन स्थानीय अभ्यर्थी दूसरे राज्य के अभ्यर्थी से सिर्फ इसीलिए आगे हो गया, क्योंकि 5 ग्रेस अंक मिले हैं। आप इस तरह की नीति का बचाव कैसे करेंगे कि बिना किसी प्रयास के एक अभ्यर्थी को 5 अंक दिए जा रहे हैं।

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