Air Pollution List 2024 : देश की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण (Air Pollution) लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। एक नए शोध में पता चला है कि हर साल दिल्ली समेत देश के बड़े शहरों में हजारों लोग वायु प्रदूषण की वजह से जान गंवा रहे हैं। प्रदूषण के कारण से दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई समेत कई शहर प्रभावित हो रहे हैं, मगर इन शहरों में राजधानी दिल्ली का हाल सबसे बुरा है। चूंकि, वायु प्रदूषण से भारत में सबसे ज्यादा मौतें दिल्ली में हो रही हैं। लैंसेट की नए शोध में वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों का डराने वाले आंकड़ा सामने आया है। बता दें कि इस शोध में कई बड़ी बातें सामने आई हैं।
लैंसेट में पब्लिश यह भारत में की गई अपनी तरह की पहली मल्टी-सिटी स्टडी है। इसमें पता चला है कि, दिल्ली में हर साल होने वाली मौतों (Air Pollution List 2024) में से तकरीबन 11.5 प्रतिशत मौतें वायु प्रदूषण के कारण से हो रही हैं। जुटाए डाटा से समझें तो राजधानी में हर साल लगभग 12 हजार लोग जहरीली हवा के कारण से दम तोड़ रहे हैं। यह शोध देश के 10 बड़े शहरों में किया गया था।
यहां देखें प्रदूषण से होने वाली मौतों का डाटा
दिल्ली | 11964 |
मुंबई | 5091 |
कोलकाता | 4678 |
चेन्नई | 2870 |
अहमदाबाद | 2495 |
बेंगलुरु | 2102 |
हैदराबाद | 1597 |
पुणे | 1367 |
वाराणसी | 831 |
शिमला | 59 |
दिल्ली में सबसे ज्यादा मौतें, शिमला में सबसे कम
पाठकों को बता दें कि, एक तरफ दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारण से सबसे ज्यादा मौतें हो रही हैं, तो दूसरी तरफ शिमला में मृत्यु दर सबसे कम है। हिमाचल की राजधानी शिमला में वायु प्रदूषण से हर वर्ष केवल 59 मौतें होती हैं, जो कुल मौतों का लगभग 3.7 फीसदी है। शोध की रिपोर्ट (Air Pollution List 2024) में कहा गया है कि, इन 10 शहरों में कुल मौतों का लगभग 7.2 फीसदी यानी हर वर्ष लगभग 33 हजार लोगों की मौत वायु प्रदूषण की वजह से होती है। शोध में पाया गया कि भारत के इन 10 शहरों में PM 2.5 की कंसंट्रेशन डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा (15 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) से बहुत ज्यादा है। इसका 99.8% दिन ऐसा ही हाल रहता है।
शोधकर्ताओं ने इस स्टडी के लिए 2008 से 2019 के मध्य इन 10 शहरों में नागरिक रजिस्ट्रियों से प्रति दिन मृत्यु डाटा इकट्ठा किया। प्रत्येक शहर के लिए इस अवधि के दौरान सिर्फ 3 से 7 वर्ष का डेली डेथ डाटा उपलब्ध कराया गया था। इन शहरों में कुल मिलाकर 36 लाख से ज्यादा मौतों की जांच की गई। कई शहरों में वायु प्रदूषण डाटा पर शोधकर्ताओं ने पहले से विकसित मशीन-लर्निंग आधारित एक्सपोज़र मॉडल का इस्तेमाल किया है।