Jind news : अब तक 110 से ज्यादा एकड़ में जलाए जा चुके फसल अवशेष
Jind news : फसल अवशेष जलाने के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। सबसे ज्यादा मामले नरवाना और उचाना ब्लाक में आ रहे हैं। मंगलवार को फसल अवशेष जलाने के चार नए मामले आए हैं, ये सभी नरवाना ब्लाक के हैं। इस सीजन में अब तक कुल 110 एकड़ से ज्यादा में फसल अवशेष जलाने पर संबंधित किसानों पर दो लाख 17 हजार रुपये से ज्यादा का जुर्माना किया जा चुका है। हरसैक द्वारा सैटेलाइट से फसल अवशेष जलाने वालों पर नजर रखी जा रही है।
वहीं कृषि विभाग और जिला प्रशासन (Jind news) द्वारा गठित टीमें ड्यूटी दे रही हैं। इसके बावजूद किसान फसल अवशेष जलाने से पीछे नहीं हट रहे। सबसे ज्यादा फसल अवशेष पीआर धान के जल रहे हैं। किसान पीआर धान की कटाई कंबाइन से कटवा रहे हैं और फसल अवशेष जलाकर अगली फसल की बिजाई के लिए जुताई कर रहे हैं। जबकि बासमती धान की पराली को किसान फसल चारे में प्रयोग कर रहे हैं। पीआर धान की खेती सबसे ज्यादा नरवाना ब्लाक में होती है।
कृषि विभाग द्वारा फसल अवशेषों की गांठ बनाने के लिए अनुदान पर स्ट्रा बेलर उपलब्ध करवाए गए हैं। फसल अवशेषों की (Jind news) गांठ से जहां किसानों को आमदनी होगी, वहीं फसल प्रबंधन योजना के तहत ऐसे किसानों को सरकार भी प्रोत्साहन राशि भी देगी। लेकिन इसके बावजूद भी फसल अवशेष जलाकर किसान खुद के और पर्यावरण काे नुकसान पहुंचा रहे हैं।
पिछले सप्ताह वर्षा होने से प्रदूषण का स्तर 100 से नीचे आ गया था। उस समय फसल अवशेष नहीं जल रहे थे। अब दोबारा फसल अवशेष (Jind news) जलाने के मामलों में हो रही बढ़ोतरी के साथ प्रदूषण का स्तर भी बढ़ रहा है। सोमवार को प्रदूषण का स्तर 227 था। मंगलवार को कुछ सुधार हुआ और प्रदूषण का स्तर 143 रहा। लेकिन ये भी स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है।
आग लगा खुद का ही नुकसान कर रहा किसान
जिला कृषि उप निदेशक डा. गिरिश नागपाल ने बताया कि फसल अवशेष जलाने से सबसे ज्यादा नुकसान किसान का ही है। जमीन की (Jind news) उर्वरा शक्ति आग लगने की वजह से नष्ट हो जाती है, जिससे पैदावार भी कम होती है। वहीं पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंच रहा है। किसान फसल अवशेष प्रबंधन कर अपनी आय बढ़ाएं और पर्यावरण संरक्षण में सहयोग करें।